Friday, March 29th, 2024

बीयू आरटीआई लगाने पर भी नहीं देगा आधा दर्जन दस्तावेज

 

ब्लैकमेलिंग रोकने और दस्तावेजों के गलत उपयोग के चलते लिया निर्णय

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने अपने आधा दर्जन दस्तावेजों को जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। भले ही कोई उक्त दस्तावेजों को आईटीआई (सूचना का अधिकार)के तहत ही आवेदन करके क्यों ना मांगे गये हो। क्योंकि उक्त दस्तावेजों के आधार पर आवेदक  दूसरों की जानकारी लेकर उन्हें ब्लैकमेल करते हैं। यहां तक उनके खिलाफ गलत तरीके से उपयोग करते हैं। वहीं दस्तावेज उपयोगी नहीं होने के कारण बीयू की प्रशासनिक व्यवस्थाएं व्यस्त बनी रहती हैं। उक्त समस्याओं को देखते हुये गत सप्ताह तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ. हरिहर शरण त्रिपाठी ने कुलपति डॉ. आरजे राव की मंजूरी लेते हुये आरटीआई के तहत जारी होने वाले दस्तावेजों पर रोक लगा दी है। रजिस्ट्रार रहे त्रिपाठी का कहना है कि कई आवेदक उक्त दस्तावेजों को लेने के लिये कई बार आवेदन करते हैं। इसके बीयू अधिकारी और कर्मचारियों का समय बेकार होता है। बीयू ने आदेश जारी करते हुये स्पष्ट किया है कि आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8 (जे) के तहत दस्तावेजों को नहीं जाएगा। इसमें चयन सूची के सदस्यों के नाम, पद व पते, प्रश्न पत्र, मुद्रक, रिजल्ट तैयार करने वाली फर्म और गोपनीय दस्तवेज, फोन नंबर, ईमेल, रिजल्ट के पहले मूल्यांकित और अमूल्यांकित कापियां, टेंडर खुलने के पूर्व तकनीकी और वित्तीय निविदा के रिजल्ट, तृतीय पक्ष की जानकारी, मूल पुस्तिका, शैक्षणिक दस्तावेज, संपित्त विवरण, व्यक्तिगत आय-व्यय, नामिनेशन, और रिजल्ट के टुबेलेशन पंजी की प्रमाणित प्रति शामिल हैं। जारी आदेश में कहा गया है कि ऐसे कोई दस्तावेज जिससे बीयू के हित में नहीं हैं, उन्हें जारी नहीं किया जाएगा। यह निर्णय कुलपति प्रो् आरजे राव द्वारा लिया गया है। उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व अतिरिक्त संचालक डॉ. राधावल्लभ शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में एक्ट के तहत तृतीय पक्ष की व्यक्तिगत जानकारी देने पर प्रतिबंधित लगाया है। बीयू द्वारा जारी किया गया आदेश एक्ट की धारा 8(जे) के तहत सही है।

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