Saturday, April 27th, 2024

चतुर्थी का योग 28 मार्च को गणेश जी के साथ ही भगवान विष्णु और गुरु ग्रह की पूजा का शुभ दिन

 चैत्र मास की भालचन्द्र संकष्टी चौथ का व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा। चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है। मार्च महीने की इस चतुर्थी को भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा। माताएं इस व्रत को संतान की प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस दिन भगवान श्री गणेश और चंद्रमा की पूजा अर्चना की जाती है। इसलिए आइए जानते हैं भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय समय और व्रत पारण की सही विधि-


संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - मार्च 28, 2024 को 06:56 पी एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - मार्च 29, 2024 को 08:20 पी एम बजे
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय - 09:09 पी एम                                                                   

पूजा-विधि
1- भगवान गणेश जी का जलाभिषेक करें       
2- गणेश भगवान को पुष्प, फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं
3- तिल के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं  
4- भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी की कथा का पाठ करें
5- ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें
6- पूरी श्रद्धा के साथ गणेश जी की आरती करें
7- चंद्रमा के दर्शन करें और अर्घ्य दें
8- व्रत का पारण करें
9- क्षमा प्रार्थना करें

चाँद निकलने का टाइम
28 मार्च को रात 9 बजकर 09 मिनट पर चंद्रोदय होगा। हालांकि, अलग-अलग शहरों में चांद निकलने के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है। चंद्र दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत सम्पूर्ण माना जाता है।

मंत्र- ॐ गणेशाय नमः

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।     

Source : Agency

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