Friday, April 26th, 2024

हिंदी विवि में कुलपति का कार्यभार संभालने से पहले नए प्रो. खेमसिंह डहेरिया ने बताया अपना विजन

मेरा सपना: हिंदी को जनभाषा बनाने के लिए हिंदी लैब शुरू करूं और विवि को सेंट्रल यूनिवर्सिटी की दर्जा दिलाऊं

भोपाल
राजभवन ने हिंदी विश्वविद्यालय के लिए नया कुलपति ढूंढ लिया है। अमरकंटक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय पदस्थ हिंदी के प्राध्यापक प्रो. खेम सिंह डहेरिया को अगले चार सालों के लिए हिंदी विवि की कमान सौंपी जा रही है। प्रो. डेहरिया कार्यभार संभालने से पहले पत्रकारों से खास चर्चा की।

प्रस्तुत हैं जिसके अंश....
सवाल: आप कई प्रशासनिक पद पर काम कर चुके हैं। कुलपति बनने के बाद विवि विस्तार के लिए पहला कौन सा कार्य करेंगे ?
जवाब: हमारी मानक भाषा कैसे ठीक हो सकती है। छात्र शब्दों का उच्चारण कैसे ठीक कर सकेंगे। इसके लिए मैं एक हिंदी भाषा की लैब स्थापित करूंगा। ताकि हिंदी प्रयोगशाला के माध्यम से छात्र इसे जनभाषाएं बनाए। मानकीकरण की जो प्रक्रिया ठीक हो। अभी किसी भी विश्वविद्यालय में इस तरह की लैब स्थापित नहीं की गई है।

सवाल: हिंदी विवि को केंद्रीय विवि बनाने को लेकर पूर्व कुलपति ने भी प्रयास किए। पूर्व शिक्षा मंत्री भी कह चुके हैं। आप इसमें क्या प्रयास करेंगे ?
जवाब: कार्यभार संभालते ही सबसे पहले इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। राज्य और के्रंद्रीय स्तर तक प्रयास किया जाएगा। अटल बिहारी का जो सपने हैं, उनके मूल्यों को ध्यान में रखकर मेरी पहली प्राथमिका यही रहेगी कि विवि को केंद्रीय दर्जा मिले।

सवाल: विवि में कई विभाग बंद हो चुके हैं, क्या वे दोबारा शुरू होंगे ?
जवाब: अभी जो विभाग चल रहे हैं, वे निरंतर संचालित होते रहेंगे। रही बात बंद हुए विभागों की तो वे किस कारणों से बंद हुए हैं। उनकी समीक्षा की जाएगी।

सवाल: विवि संचालन के लिए बजट की अभी कमी है। क्या शासन से बजट स्वीकृत कराकर लाएंगे ?
जवाब: बिना बजट के किसी भी विवि का संचालन नहीं हो सकता है। मेरी तरफ सौ फीसदी इस पर मैं प्रयास किया जाएगा। ताकि शिक्षा संबंधी कार्यों में बाधा न आए।

सवाल: रेगुलर पोस्ट भर्ती में कई अड़चने हैं। इसे कैसे दूर किया जाएगा ?
जवाब: रोस्टर का मामला अभी कोर्ट में भी था। जिसकी वजह से भर्तियों में अड़चनें आ रही हैं। इसका विस्तार से अध्ययन कर हल निकाला जाएगा।

सवाल: हिंदी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू होना थी, लेकिन नहीं हो पाई। इस दिशा में क्या कदम उठाएंगे ?
जवाब: दोनों विषयों की पढ़ाई हिंदी में ही होगी। इसमें कोई दो मत नहीं है। हम मेडिकल और इंजीनियरिंग का अध्ययन हिंदी में कराने को लेकर प्राथमिकता से काम करेंगे।

 

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